भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट पर्थ में 22 नवंबर से शुरू हुआ, लेकिन टीम इंडिया की शुरुआत बेहद खराब रही। इस पांच मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जिससे टीम प्रबंधन के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
राहुल और पडीक्कल का खराब प्रदर्शन
पर्थ टेस्ट में, रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी और शुभमन गिल के चोटिल होने के कारण केएल राहुल और देवदत्त पडीक्कल को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। हालांकि, दोनों बल्लेबाज अपने प्रदर्शन से टीम को प्रभावित करने में नाकाम रहे।
केएल राहुल ने 74 गेंदों पर 26 रन बनाए। वे एक विवादास्पद फैसले का शिकार हुए, जब उन्हें कैच आउट करार दिया गया, जिससे उनकी पारी अचानक समाप्त हो गई। दूसरी ओर, पडीक्कल तो खाता भी नहीं खोल सके और खराब शॉट खेलकर जल्दी ही आउट हो गए। पडीक्कल को टीम में इंट्रा-स्क्वाड मैच में शानदार प्रदर्शन के आधार पर मौका दिया गया था, लेकिन वे इसे दिखाने में असफल रहे।
दूसरे टेस्ट में बदल सकती है टीम की रणनीति
एडिलेड में होने वाले दूसरे टेस्ट से पहले रोहित शर्मा की वापसी तय मानी जा रही है। ऐसे में रोहित ओपनिंग का जिम्मा संभाल सकते हैं, जिससे केएल राहुल का टीम में बने रहना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही, शुभमन गिल के फिट होने की उम्मीद है। यदि गिल फिट होते हैं, तो देवदत्त पडीक्कल की जगह वे टीम में वापसी कर सकते हैं।
क्या यह राहुल और पडीक्कल के लिए आखिरी मौका था?
टीम इंडिया के इस खराब प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट को आगे की रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। राहुल और पडीक्कल जैसे खिलाड़ी, जिन्हें प्लेइंग इलेवन में अपने प्रदर्शन से खुद को साबित करने का मौका मिला था, अब टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए संघर्ष करते नजर आ सकते हैं। टीम इंडिया के सामने न केवल बल्लेबाजी क्रम को सुदृढ़ करने की चुनौती है, बल्कि अगले मैचों के लिए सही संयोजन तैयार करना भी जरूरी हो गया है।